INTERNATIONAL DALIT LIBERATION FORUM
Sunday 27 January 2013
Friday 25 January 2013
Tuesday 18 September 2012
" डा 0 अम्बेडकर और राष्ट्र प्रेम "
"व्यक्तिगत स्तर पर मैं यह स्पष्ट कहना चाहता हूँ कि मैं नहीं मानता कि इस देश में किसी विशेष संस्कृति के लिए कोई जगह हैं .चाहे वह हिन्दू संस्कृति हो , या मुस्लिम संस्कृति , या कन्नड़ संस्कृति , या गुजरती संस्कृति . ये ऐसी चीजें हैं .जिन्हें हम नकार नहीं सकते, पर उनको वरदान नहीं मानना चाहिए .बलिक अभिशाप की तरह मानना चाहिए . जो हमारी निष्ठा को डिगाती है और हमें अपने लक्ष्य सी दूर ले जाती है . यह लक्ष्य है , एक भावना को विकसित करना कि हम सब भारतीय हैं ."
डा 0 अम्बेडकर
"व्यक्तिगत स्तर पर मैं यह स्पष्ट कहना चाहता हूँ कि मैं नहीं मानता कि इस देश में किसी विशेष संस्कृति के लिए कोई जगह हैं .चाहे वह हिन्दू संस्कृति हो , या मुस्लिम संस्कृति , या कन्नड़ संस्कृति , या गुजरती संस्कृति . ये ऐसी चीजें हैं .जिन्हें हम नकार नहीं सकते, पर उनको वरदान नहीं मानना चाहिए .बलिक अभिशाप की तरह मानना चाहिए . जो हमारी निष्ठा को डिगाती है और हमें अपने लक्ष्य सी दूर ले जाती है . यह लक्ष्य है , एक भावना को विकसित करना कि हम सब भारतीय हैं ."
डा 0 अम्बेडकर
Saturday 8 September 2012
" दलित और महा - पुरष "
" यह बड़े आश्चर्य की बात है कि जिन महापुरषों को दलितों ने मन से माना हैं , उन्हें सवर्णों ने अस्वीकार कर दिया हैं , चाहे ओ महापुरष किसी जाति में पैदा हुए हों , संत कबीर दास जी , भगवान महात्मा बुद्ध डा0 अम्बेडकर इसके प्रत्यक्ष प्रमाण है . संत कबीर दास और भगवान बुद्ध दलित जाति में नहीं पैदा हुए . सही तो यह है की महा पुरषों की कोई जाति नहीं होती , और ना ही दलितों की ही कोई जाती होती है . लेकिन हमारे देश के लोगों को सही महा पुरषों की पहचान नहीं है . आज जब पूरे देश में डा 0 अम्बेडकर को आजादी के बाद का सबसे महान पुरष चुना गया है . उन्हें केवल दलितों ने ही नहीं चुना है . पूरा समाज ने उन्हें महान माना है तो , सवर्ण जाति के लोग डा 0 अम्बेडकर को दलितों का मशीहा क्यों कहती है , जब की आज वे देश के सबसे महान मशीहा हैं . "
डा 0 महेन्द्र कुमार निगम
Subscribe to:
Posts (Atom)