Friday 25 January 2013


                                                  जय हिन्द 


                              भारतीय गणतंत्र  की 64वी वर्षगाठ पर सभी देशवाशियों को हार्दिक शुभकामनायें .

Tuesday 18 September 2012

                 "   डा 0 अम्बेडकर  और राष्ट्र प्रेम "



            "व्यक्तिगत  स्तर  पर मैं यह स्पष्ट कहना  चाहता हूँ कि मैं नहीं मानता कि इस  देश में किसी विशेष संस्कृति के लिए कोई  जगह हैं .चाहे वह हिन्दू संस्कृति हो , या मुस्लिम संस्कृति , या कन्नड़ संस्कृति , या गुजरती संस्कृति . ये ऐसी चीजें हैं .जिन्हें हम नकार नहीं सकते, पर उनको वरदान नहीं मानना चाहिए .बलिक अभिशाप की तरह मानना चाहिए . जो हमारी निष्ठा  को डिगाती है और हमें अपने लक्ष्य सी दूर ले जाती है .  यह लक्ष्य है , एक  भावना को विकसित करना कि हम सब भारतीय हैं ."
                                   डा 0 अम्बेडकर 

Saturday 8 September 2012

जय भीम जय भारत 

 
                                  "  दलित  और  महा  - पुरष "



        "  यह बड़े आश्चर्य  की बात है कि जिन  महापुरषों  को दलितों ने मन से माना हैं , उन्हें सवर्णों ने अस्वीकार  कर  दिया हैं , चाहे ओ महापुरष   किसी जाति  में  पैदा हुए हों , संत कबीर दास जी , भगवान  महात्मा  बुद्ध डा0  अम्बेडकर  इसके  प्रत्यक्ष  प्रमाण  है .  संत  कबीर दास  और  भगवान  बुद्ध   दलित जाति  में नहीं पैदा हुए . सही तो यह है की महा पुरषों  की कोई जाति  नहीं होती , और ना  ही दलितों  की ही कोई जाती होती है . लेकिन हमारे देश के लोगों  को सही  महा पुरषों  की पहचान नहीं है . आज  जब पूरे  देश में डा 0 अम्बेडकर  को आजादी  के बाद का सबसे महान  पुरष  चुना  गया है . उन्हें  केवल दलितों ने ही नहीं चुना है . पूरा समाज ने   उन्हें  महान  माना  है तो , सवर्ण  जाति  के लोग डा 0 अम्बेडकर  को दलितों का मशीहा क्यों कहती है , जब की आज  वे देश के सबसे महान  मशीहा  हैं .    "

                                                                             डा 0 महेन्द्र  कुमार निगम